लेखनी कविता -चलती है लू - बालस्वरूप राही

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चलती है लू / बालस्वरूप राही घर, मैदान, खेत तप जाते जब चलती है लू, बागों में से उड जाती है फूलों की खुशबू। पर न सोचना, तपन भरी लू यों ...

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